होम्योपैथिक दवा रस टॉक्स (Rhus Toxicodendron)
Rhus Tox की शक्ति :-
होमियोपैथी में इस दवा का मदरटिंक्चर, 30, 200, 1M है।
Rhus tox का निर्माण :-
उत्तरी अमेरिका के मैदान में, जंगलों में व चाहर दीवारी में एक प्रकार की झाड़ी की भाँति का गाछ उग आता है, जिसके पत्तों से इसका टिंक्चर बनता है
मुख्य प्रयोग :-
शरीर की त्वचा, माँसपेशियाँ, श्लैप्मिक झिल्ली तथा स्नायु मण्डल पर इसकी प्रमुख क्रिया होती है । यह औषध वात-पीड़ा, श्लैष्मिक झिल्ली के रोग, ऑपरेशन कराने के बाद की पीड़ा, जोर पड़ने, भारी वजन उठाने तथा गरम शरीर के भीग जाने से उत्पन्न रोग, जहरवाद की प्रथमावस्था, दूषित रोग एवं ठंड लगकर आये हुए वातरोग में हितकर है ।
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संवेदन यन्त्रों की कमजोरी, सिर में भारीपन, सिर की त्वचा पर दाने, आँखों में सूजन, फुंसी के साथ प्रदाह, कानों में दर्द, सूजन, भीग जाने के कारण जुकाम हो जाना, छीकें आना, नाक के सिरे पर लाली और सूजन, चबाने पर जबड़े में चुरचुराहट, जबड़े के जोड़ों में दर्द, गले की गाँठों में सृजन और दर्द, तीव्र पेट-दर्द, पुट्ठों की गाँठों में सृजन, गहरे गंदले रंग का गाढ़ा मूत्र, लिंगावरण की सूजन, स्त्रियों की योनि में सूजन के साथ खुजली तथा अम्लतायुक्त मासिकधर्म आदि लक्षणों में यह औषध लाभदायक है।
निर्देशक लक्षण :-
वायु-विकार- वात-रोग, जोड़ों का दर्द, गृध्रसी आदि लक्षण शरीर के
वाँये भाग में हो, बॉये हाथ में ऐंठन जैसा दर्द हो, कमर में दर्द, स्नायविक गोल । घूमने-फिरने से दर्द में कमी हो, सुबह सोकर उठने से या बैठे हुए से उठने पर दर्द बढ़ जाये लेकिन कुछ देर घूमने-फिरने से कम हो जाये, चुपचाप लेटे रहने पर दर्द में वृद्धि हो।
मन- रोगी बहुत बेचैन रहता है । दिन में तो बैचैनी कम रहती है लेकिन रात में बढ़ जाती है । रोगी एक करवट नहीं रह पाता, करवट बदलता रहता है ।
रोगी को रात में डर लगे, उसे लगता है कि कोई उसे जहर देकर मार देगा। रोगी बिस्तर पर लेट भी न पाये ।
चोट लगना-मोच आने के कारण पेशी अथवा पेशी-बन्धन के अपनी
जगह से टूटकर हट जाने जैसा या चाकू से हड्डी खरोंचने की भाँति का दर्द हो । पीड़ित स्थान पर स्पर्श करने से घाव की भाँति पीड़ा हो ।
ज्वर- सविराम ज्वर में ठण्ड लगने के पूर्व और ठण्ड लगते समय पीड़ादायक
सुखी खाँसी उठे, खाँसते समय रक्त की गन्ध आती हो ।
होठों के कोने में घाव हो गये हों, मुख व होठ के चारों तरफ मोतीझरा बुखार के मोती जैसे दाने हो । टाइफाइड बुखार की प्रथमावस्था में पतले दस्त, अनजाने में मल-त्याग, रक्त मिले दस्त, साथ में कमजोरी की दशा।
त्वचा :- विसर्प या जहरबाद । शरीर में पीवयुक्त फुन्सियाँ जिनमें खुजाने पर दर्द हो। शरीर में विभिन्न स्थानों पर आमवात की सूजन, उसमें खुजली। जीभ लाल, सूखी फटी हुई, घाव युक्त, जीभ पर दाँत का निशान ।
लकवा– गीली मिट्टी में सोने या पानी में भीगने के कारण लकवा मारना, रोगी स्थान सुन्न पड़ जाना ।
मुख- गला, मुख व जीभ सूखे रहें और साथ ही तीव्र प्यास भी हो ।
पेट- पुराना अतिसार का रोग या आँव मिले दस्त हों ।
ज्ञातव्य – रस टॉक्स के दर्द में रोगी के स्थिर भाव से रहने से दर्द बढ़ता और छटपटाने, हिलने डुलने से घटता है ।
सर्दी लगकर उत्पन्न हुई व्याधि-ज्वर, बदन-दर्द, वातरोग आदि में यह दवा लाभकारी है ।
यह दवा शान्त प्रकृति वाले व्यक्तियों के रोगों में अधिक उपयोगी है।
लक्षणों में कमी – गर्म मौसम में, करवट बदलने पर, शरीर हिलाने पर।
लक्षणों में वृद्धि :- वर्षा ऋतु में, भीगने पर, आराम करने से, अंधड़
सम्बन्धित औषधियाँ- रस टॉक्स के पूर्व एपिस का प्रयोग नहीं करना चाहिये लेकिन रस टॉक्स के बाद फॉस्फोरस से बहुत फायदा होता है
क्रियानाशक औषधियाँ –
ग्रैफाइटिस, गुयेकम, क्लिमेटिस, कैम्फर, कॉफिया, क्रोटॉन, सल्फ, लैकेसिस, वेलाडोना, ब्रायोनिया, रैनन, एकोनाइट, ऐनाकार्डियम, एमोन कार्ब, रैनन बर्ल्वो।
मुख्य प्रश्नोत्तरी (FAQ)
प्रश्न :- रस टॉक्स (Rhus Tox 30, या 200) मुख्यतः किस रोग की दवा है ?
उत्तर :- रूस टॉक्स मुख्यतः joint pain की दवा है । बरसात के कारण या भीगने के कारण बुखार का आ जाना और उसके बाद जोड़ो में दर्द होने पर यह दवा रामबाण काम करती है ।
प्रश्न :- क्या रस टॉक्स दवा के साथ कोई और दवा ले सकते है ?
उत्तर :- जी हाँ, बिल्कुल ले सकते है परंतु दोनो में अंतर होना चाहिए
प्रश्न :- रस टॉक्स 30 या 200 किस कंपनी की सबसे अच्छी होती है ?
उत्तर :- जर्मनी की कंपनियों में Dr Reckeweg , Adel , Dr William Schwab अच्छी कंपनी है और भारतीय कंपनियों में आप रस टॉक्स SBL , Bakson, Lords , Bhargava phytolab आदि अच्छी कंपनियां है ।
प्रश्न :- रस टॉक्स (Rhus Tox ) दवा लेने का सही तरीका क्या है ?
उत्तर :- इस दवा की 5 -5 बूंदे दिन में तीन बार 1/4 कप ताजे पानी मे अथवा डॉक्टर की सलाह अनुसार लेनी चाहिए
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