साईक्लेमेन एक बहुत ही प्रभावशाली होम्योपैथिक दवा है जिसका मुख्य कार्य मनुष्य के न्यूरॉन सिस्टम को दुरुस्त रखना है, इसके सेवन से तंत्रिका सम्बन्धी रोग ठीक हो जाते है, इसके साथ ही साईक्लेमेन के सेवन से मन के रोगों में भी राहत मिलती है, अगर रोगी चिंता करता है, या फिर रोगी को आँखों के रोग है, या रोगी की आँखों में खुजली होती है, या फिर रोगी को पाचन तंत्र से जुड़े हुए विकार है तो साईक्लेमेन इन सभी रोगों के उपचार के लिए रामबाण है, इसके अलावा बहुत से रोगों के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग किया जाता है।
साईक्लेमेन Cyclamen होम्योपैथिक दवा के फ़ायदे –
- साईक्लेमेन के सेवन से माहवारी से जुड़े हुए रोगो जैसे कि पेट में दर्द होना, पेट में ऐंठन होना, समय से पहले या समय के बाद माहवारी आना जैसे सभी लक्षण जड़ से खत्म हो जाते है।
- साईक्लेमेन के सेवन से पाचन संबंधित सभी रोग खत्म हो जाते है और रोगी को खुलकर भूख लगती है।
- अगर गलती से कोई खराब या दूषित भोजन खा लेता है और उस रोगी की तबियत खराब हो जाती है या फिर रोगी को अपच हो जाती है तो इस हालत में साईक्लेमेन संजीवनी बूटी का काम करती है।
- साईक्लेमेन के सेवन से प्रसव के दौरान ज्यादा खून आने से रुक जाता है।
- साईक्लेमेन के सेवन से चिंता और घबराहट दूर हो जाती है।
- साईक्लेमेन के सेवन से गर्भाशय में होने वाले दर्द से निजात मिलती है।
- साईक्लेमेन के सेवन से त्वचा से जुड़े हुए सभी रोग ठीक हो जाते है।
विभिन्न रोगों के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग –
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मन और सिर के रोगों के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग –
अगर किसी रोगी के सिर में हमेशा खुजली बनी रहती है, या फिर रोगी के सिर में दर्द होता रहता है, है फिर रोगी की याददाश्त बहुत कमजोर हो गयी है जिससे वह छोटी से छोटी चीजो को भूल जाता है, या फिर रोगी हमेशा उदास रहता है, या फिर उदास रहते हुए अचानक से ही हँसने लगता है, या फिर रोगी बिना बात की चिंता करता है, या फिर रोगी हमेशा गुस्से में ही बना रहता है तो उस रोगी को साईक्लेमेन की खुराक देनी चाहिए। साईक्लेमेन मन और सिर के सभी रोगों को ठीक कर देती है।
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आँख, नाक, कान के रोगों के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग –
साईक्लेमेन के सेवन से आँख, नाक, कान के सभी रोग ठीक हो जाते है, अगर किसी रोगी की आँखों में जलन और खुजली होती हो, या फिर रोगी की पलकें सूजी हुई रहती हो, या फिर रोगी के कान में अजीब सी आवाजें बजती रहती हो, या फिर रोगी के कान में दर्द रहता हो, या फिर रोगी को बिना जुखाम के ही छींके हो रही हो और इसके साथ उसकी नाक भी बह रही हो तो उस रोगी को साईक्लेमेन की खुराक देनी चाहिए।
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पेट के रोगों के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग
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अगर किसी रोगी के पेट में दर्द रहता है, या फिर रोगी के पेट में तेज और दर्दनाक मरोड़ उठती हो, या फिर रोगी को भोजन खाने के बाद उल्टी हो जाती हो, या फिर रोगी का जी मिचला रहा हो, या फिर रोगी को खाना खाने के तुरंत बाद ही मल त्याग करने जाना पड़ता हो और मल त्याग के समय पेट में असहनीय दर्द उठता हो, या फिर रोगी के लिवर में दर्द रहता हो जिसकी वजह से रोगी के पेट म एसिड ज्यादा बनता हो जिसकी वजह से रोगी के पेट में हमेशा गैस बनती रहती हो, या फिर रोगी को दस्त लग गए तो उस रोगी को ठीक करने के लिए उसे साईक्लेमेन का सेवन कराना चाहिए।
इसके अलावा अन्य और भी रोगो के उपचार में साईक्लेमेन का उपयोग किया जाता है –
- साईक्लेमेन के सेवन से मल और गुदा के रोग, बबासीर जैसे सभी रोग ठीक हो जाते है।
- साईक्लेमेन के सेवन से मूत्र संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है।
- साईक्लेमेन के सेवन से हाथ और पैर के रोगों में आराम मिलता है।
साईक्लेमेन का सेवन कैसे करना चाहिए ?
साईक्लेमेन एक बहुत ही संवेदनशील होम्योपैथिक दवा है जिसे बिना किसी चिकित्सक के सलाह के नहीं खाना चाहिए, आमतौर पर सभी चिकित्सक साईक्लेमेन की 5 बूंद आधा कप पानी में मिलाकर दिन में 4 बार पीने के लिए कहते है।
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