प्रसव (प्रेग्नेंसी) में कॉलोफ़ाइलम (calophyllum) का उपयोग :-
हमने अपने आर्टिकल्स में अनेक स्थानों में कुछ ओषधियों के ‘ग्रुप्स’ का वर्णन किया है। उनमे से प्रसव (pregnancy) से पूर्व लेने की कुछ दवाओ का ग्रुप है जिनमें से कॉलोफाइलम (calophyllum) ऐक्टिया रेसीमोसा (Actaea racemosa)अर्निका (Arnica), पल्साटिल्ला (Pulsatilla), सीपिया (sepia) तथा जेलसीमियम (Gelsemium) मुख्य हैं ।
जब कभी प्रसव(प्रेग्नेंसी) का केस सामने आये तो इस ग्रुप की तरफ़ ध्यान जाना चाहिए। कहा जाता है कि कॉलोफाइलम प्रसव से कई दिन पहले से देनी चाहिए, ये दवा प्रसव को आसान बना देती है । और प्रेग्नेंसी के समय दर्द में भी राहत मिलता है । इसलिए ज्यादातर डॉक्टर प्रसव से पूर्व इस दवा को देते है ।
स्त्री (stri) के मासिकधर्म के दर्द में होमिओपैथी दवा ऐक्टिया रेसीमोसा (Actaea racemosa) :-
यह अंगुलियों के अर्थराइटिस के लिए भी उपयोगी है; ऐक्टिया रेसमोसा को सिमिसिफ़्यूगा भी कहा जाता है । इसे मासिक दर्द से पहले देना चाहिए जबकि अर्निका को प्रसव के बाद देना चाहिए,
पल्साटिल्ला को मासिक के दबे रहने पर देना चाहिए, जेलसीमियम को भय आदि, या अंगों की शिथिलता आदि या कमजोरी आदि में देना चाहिए। यह पूरा ‘ग्रुप’ स्त्री रोगों का है, परन्तु इनके लक्षणों के आधार पर पुरुषों के लिए भी ये ओषधियाँ उपयोगी हैं।
स्त्रियों के रोगो में होमिओपैथी दवा पल्साटिल्ला का प्रयोग :-
होमियोपैथी की ये दवा स्त्रियों के रोगों की महत्त्वपूर्ण दवा मानी जाती है । जो स्त्रियां बहुत नाजुक स्वभाव की होती है जो जरा सी बात पर रो पड़ती है । स्त्रियों के ऐसे लक्षणों में दवा बहुत कारगर साबित होती है ।
स्त्रियों में मासिकधर्म रुक जाने के कारण होने वाली दिक्कतों में पल्साटिल्ला बहुत ही अच्छा काम करती है ।
अनियमित माहवारी (अनियमित पीरियड्स) में होम्योपैथिक दवा सीपिया (sepia ) :-
जिस प्रकार पल्साटिल्ला महिलाओं के रोगों की प्रमुख दवा है सीपिया भी उसी श्रेणी में आती है अर्थात ये दवा भी स्त्रियों के रोगों में काम आती है । खासतौर पर जब अनियमित महावारी के कारण होने वाली परेशानियों में ये दवा बहुत ही कारगर है। अगर अनियमित महावारी के कारण चेहरे पर कील मुँहासे हो या झाइयां हो गई हो तो सीपिया(sepia) बहुत अच्छा काम करती है ।
लड़कियों के ल्यूकोरिया में होम्योपैथिक दवा :-
ल्यूकोरिया , स्त्रियों में होने वाली एक आम रोगों में से एक रोग है । इसमें रोगी के योनि से सफेद पानी निकलता है जो कि बदबूदार होता है । महिलाओं में ये एक प्रकार के हार्मोन्स के कारण होता है जिसको एस्ट्रोजन कहते है ।
ल्यूकोरिया के लक्षण ;-
ल्यूकोरिया के मुख्य लक्षणो में योनि के पास खुजली का होना, पेशाब में जलन, कमर में दर्द, खून की कमी के साथ शरीर मे कैल्शियम की कमी ।
उपरोक्त सभी लक्षणों के अनुसार होमियोपैथी दवा एल्यूमिना (Alumina) , एंटीमोनियम क्रूडम (Antimonium Crudum), बोरेक्स (Borax), क्रिओसोटम (Kreosotum), नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum), व प्लेटिना (Platina) प्रमुख होमियोपैथी दवाएं है जोकि ल्यूकोरिया (श्वेतप्रदर) में रामबाण कार्य करती है । परन्तु ये सभी दवाएं विभिन्न लक्षणो के आधार पर कार्य करती है । इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के ये औषधियों का उपयोग नही करना चाहिए ।
FAQ :-
प्रश्न :- ovarian cyst (PCOD) की होम्योपैथिक दवा कौन सी है ?
उत्तर :- ओवरी में cyst की बहुत सी होम्योपैथिक दवाएं है जिनमे से apis mel , Belladonna, Hydrastis , Lachesis, thuja , Fraxinus americana, आदि प्रमुख औषधि है । परंतु अगर कॉम्बिनेशन की बात करे तो oddo Tumo Z एक बेहतरीन दवा है
प्रश्न :- प्रेगनेंसी (गर्भपात) रुक नही पाती, pregnancy लाने के लिए कोई होम्योपैथिक दवा बताये ?
उत्तर :- प्रेग्नेंसी के कारण का पता चलने के बाद ऐसे बहुत सी होम्योपैथिक दवाएं है जो गर्भपात में काम करती है । कॉलोफ़ाइलम और सीकेल कोर ऐसे दवाएं है जो यूट्रस को मजबूती प्रदान करती है जिससे यूट्रस की कमजोरी के कारण गर्भपात रुक जाता है ।
प्रश्न :- क्या गर्भावस्था के दौरान होम्योपैथिक दवा ले सकते है ?
उत्तर :- जी हाँ, प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादातर होम्योपैथिक दवाएं एकदम सुरक्षित होती है परंतु फिर भी किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए ।
प्रश्न :- प्रेग्नेंसी समाप्त करने की होम्योपैथिक दवा ?
उत्तर :- अगर प्रेग्नेंसी को ज्यादा समय नही हुआ हो तो hydrastis Q और Nat mur 1M देने से प्रेग्नेंसी समाप्त हो जाती है ।
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