May 10, 2024

जॉनोसिया अशोका (janosia Ashoka Q) Homeopathic Medicine

janosia ashoka homeopathy medicine

Janosia Ashoka Q (जॉनोसिया अशोका) Homeopathic Medicine , इसका दूसरा नाम “सराका इंडिका (saraca indica) ” भी है । ये औषधि अशोका के पेड़ से तैयार होती है । ये दवा स्त्री रोगों की विशेष दवा है ।

जॉनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) का प्रयोग :-

प्राचीन काल से ही जॉनोसिया अशोका (janosia ashoka) का उपयोग स्त्रियों के विभिन्न प्रकार के रोगों में किया जाता रहा है । इस औषधि को आयुर्वेद में स्त्री रोगों की महत्वपूर्ण दवा के रूप में जाना जाता है । आयुर्वेद की प्रसिद्ध दवा “अशोकारिष्ट” भी इसी दवा से निर्मित की गई है ।

परन्तु होमियोपैथी में जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) को शक्तिकृत करके उसकी क्षमता को बढ़ाया जाता है । जिससे इसके औषधीय गुण और भी बढ़ जाती है । और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नही रहते ।

विभिन्न प्रकार के स्त्री-रोगों में जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) का उपयोग :-

यह औषधि अनियमित मासिकधर्म (irregular Period) की उत्तम औषधि है । किसी महिला को यदि अत्यधिक रक्तस्राव होता हो और कई दिनों तक रहता है, रोगी कमजोर और रक्तहीन हो जाती हो, आंख और चेहरे में जलन रहती हो, कमर-दर्द होता हो इस प्रकार के सभी रोगों में ये दवा बहुत ही कारगर होती है ।

janosia ashoka homeopathy medicine

होम्योपैथिक दवा जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) जरायु (uterus) को ताकत पहुंचाने में भी काफी उपयोगी है ।

ताकत अथवा जीवन-शक्ति को बढ़ाने के लिये भी इस दवा प्रयोग किया जाता है । इसलिये कई दिनों तक मासिक धर्म सम्बन्धी विकारों के रहने के बाद भी यदि कोई महिला बहुत कमजोर और दुबली हो गयी हो तो यह औषधि उनके लिए जीवन अमृत का कार्य करती है ।

किसी कारण से अचानक मासिक स्राव का रुधिर रुक जाने और पेट में दर्द होने लगने की दशा में इस औषधि की अपेक्षाकृत ऊँची शक्ति का प्रयोग करना चाहिये । अन्य स्थानों पर 3x, 6x का प्रयोग करते हैं

श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) और अन्य विविध स्त्री रोगों में भी यह बहुत उपयोगी रहती है ।

बहुत अधिक खून बहना और काफी दिनों तक स्थायी प्रदर के कारण रोगिणी के बहुत कमजोर और दुबली हो जाने की दशा में इस औषधि का व्यवहार बहुत उपयोगी रहता है । जरायुरोग-ग्रस्त स्त्रियों के शीर्ण और दुर्बल हो जाने पर यह औषधि विशेष लाभप्रद रहती है ।

महिलाओं में जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) के अन्य लक्षण :-

कमजोरी अथवा सिर-दर्द के कारण रोगी मूर्छित तक हो जाये, माथे में दर्द जो कभी दाहिनी ओर, कभी बाई ओर बढ़े । जरायु की प्रतिक्षिप्त क्रिया के कारण रुधिर की अधिकता के साथ सिर-दर्द। साथ में थोड़ा ऋतुखाव; काफी मात्रा में स्राव होने से सिर-दर्द हो । उल्टी होना, चक्कर आना, खाने पीने के प्रति अनिच्छा का भाव आदि अन्य प्रकार के लक्षणों में ये दवा रामबाण कार्य करती है ।

कान-दर्द, ठण्ड लगने से कम सुनाई दे । आँख के कोटर में दर्द । आरक्तता, जलन तथा खुजली। ऊपरी पलक में गुहैरी । रोशनी से भय, पढ़ने या कहीं देखने से-अथवा इस प्रकार के थोड़े परिश्रम से ही थकान महसूस हो । अत्यधिक अश्रु-स्राव।

सर्दी, छींक, नाक से अधिक मात्रा में पानी गिरे । नासारन्ध्र में दर्द हो । नाक जकड़ी हुई, गंध का अभाव , मुंह में सूखापन, तीव्र प्यास, एक साथ बहुत ज्यादा पानी पीना,

जीभ पर मोटी, सफेद या भूरी परत । दाँतों में दर्द और मसूढ़ों से खुन आना। गला- टॉन्सिल, अलिजिह्वा और गले में आरक्तता । गले में दर्द हो, जल्द ही ठण्ड लग जाये ।

हृदय- हृदय में दर्द, नाड़ी तेज, पूर्ण, कठिन । हृदय-स्पन्दन हिलने डुलने पर बढ़े श्वास तंत्र- तेज साँस, चलते समय सांस लेने में कठिनाई । दोपहर में और शाम को रोग का बढना । शुष्क खाँसी ।

पेट सख्त व फूला हुआ; दबाने से दर्द हो, दुर्गन्धयुक्त वायु निकले। वायु का दर्द, शाम के समय लक्षण बढ़े । पेट के निचले भाग में दर्द। जी मिचलाना, बार-बार वमन(उल्टी) होना, पित्त की वमन, पाकाशय में पीड़ा ।

मीठे पदार्थों के सेवन की तीव्र इच्छा, दूध से अरुचि । भूख का अभाव और भोजन के प्रति अनिच्छा । खट्टी वस्तुओं के सेवन की इच्छा। रोगी अधिक मात्रा में पानी पीये । मूत्रतन्त्र-थोड़ा, रुधिर मिला मूत्र बार-बार हो ।

मूत्राशय में दर्द, रात को सोते समय बिस्तर पर अनजाने में मूत्र- त्याग, पुट्ठे में दर्द । मल- कठोर कब्ज, मल कड़ा, दो-तीन दिनों के अन्तर पर हो। मल बड़ी कठिनाई से निकले । मल के त्यागने के पहले दर्द । श्लेप्मायुक्त मल। मलद्वार में पीड़ा, बादी या खूनी बवासीर | आदि सभी प्रकार के लक्षणों में ये दवा बहुत ही उपयोगी होती है ।

स्त्री-रोग में अशोका का प्रयोग :-

मासिकधर्म अनियमित हो या बंद हो जाये, मासिक धर्म के बंद होने या कम मात्रा में होने के कारण तीव्र सिर-दर्द । तलपेट, कमर व जाँघ में दर्द; स्राव बहुत कम मात्रा में हो, गन्दा, पानी की तरह का, समय समय पर दुर्गन्धित, काला, दर्दयुक्त और थोड़ा थक्का-थक्का हो । युवावस्था में मासिक धर्म का रुकना, सिर-दर्द, छाती धड़कना, हिस्टीरिया, भूख न लगना, कब्ज, डिम्बकोष में दर्द ।

मासिक धर्म प्रकट होने के पहले ही वस्तिगह्वर में रक्त की अधिकता प्रतीत हो । दोनों डिम्बकोषो में दर्द हो जो मासिक धर्म के प्रकट होने पर घटे, मूत्राशय में जलन हो, बार-बार पेशाब को जाना पड़े । मासिक स्राव का रक्त रुक जाने से होने वाले उदरशुल में इस औषधि की 30, 200 शक्ति का उपयोग करना बहुत ही लाभकारी होता है ।

पुरुष-रोग में अशोका दवा का उपयोग :-

अण्डकोष फूला, अण्डकोष में खुजली, प्रोस्टेट ग्रन्थि या मूत्राशय मुखग्रन्थि के स्राव का गिरना । स्वप्न के बिना रात में स्वप्नदोष होना। गर्दन व पीठ- गर्दन से मेरुदण्ड के निचले सिरे तक पूरी पीठ में दर्द। अंग-प्रत्यंग- कमजोरी, जगह बदलने वाला दर्द, छोटे-छोटे जोड़ों में दर्द। जाँघ में दर्द । आदि पौरूष रोगो में अशोका बहुत ही लाभदायक होती है ।

ज्वर- ठंड लगना, प्यास का अभाव । सूखा उत्ताप । अस्थिरता, गालों की लाली, लालिमायुक्त चेहरा । आदि सर्दी के लक्षणो में ये दवा बहुत उपयोगी होती है ।

जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) का मानसिक लक्षणों में उपयोग :-

अच्छे स्वभाव वाली, स्नेहशील, स्वभाव में भयभीत रहने वाली, सहज में ही रो देने व सहज में ही उत्तेजित हो जाने वाली महिलायें; जल्द ही थकान होने लगे, किसी काम को करने की इच्छा न हो, परिवर्तनशील चिन्ता । मामूली चीज से ही सन्तुष्ट हो जाने की प्रवृत्ति । किसी भी विषय को आसानी से समझ न पाना, सहज में ही ठण्ड लग जाना, खुली हवा में अच्छा महसूस होना । धैर्य का अभाव, रोगिणी तकलीफ सह नहीं सकती हो ,इस प्रकार के मानसिक लक्षणों में जोनोसिया अशोका (janosia ashoka Q) का प्रयोग करना चाहिए

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