होम्योपैथी ( नैनोपैथी ) एक नैनोटेक्नोलॉजी बेस रिसर्च Homoeopathy Research in Nanotechnology (Nanopathy)
दोस्तो, एलोपैथी में अपना पूरा जीवन लगाने के बाद डॉ सैमुअल हैनिमैन ने अठारवीं सदी में होमियोपैथी को दुनियां के सामने प्रस्तुत किया । जिसका सिद्धांत similia similibus curentur यानी Like is cure by like है ।
इसको हिंदी भाषा में आप इस तरीके से समझ सकते है की अगर किसी रोग के लक्षण , स्वस्थ आदमी पर किसी दवा के लगातार प्रयोग से उत्पन्न लक्षणों जैसे होते है तो वो दवा ही उस रोग को समाप्त करने की ताकत रखती है जिससे वो रोग के लक्षण पैदा हुए है ।
इसको हम एक उदाहरण से समझते है , आपने सिनकोना ( cinchona off) , जिसको आम भाषा में कुनेन भी कहते है के बारे में तो सुना ही होगा , अगर एक स्वस्थ आदमी इस की छाल का सेवन करे तो उसमे मलेरिया के लक्षण उत्पन्न हो जाते है , और आपको जानकार ये हैरानी होगी के इसी सिनकोना से मलेरिया की दवा भी बनती है ।
उपरोक्त बताई गई सभी बातों से आप ये तो समझ ही गए होंगे की
” होमियोपैथी कैसे काम करती है “
परन्तु फिर भी ऐसा क्या कारण रहा है जिसके कारण अभी तक सरकार या अन्य को सरकारी संस्थाओं द्वारा इस नैनोपैथी की लगातार उपेक्षा की गई ? और वो मान्यता नही दी गई जिसका इस पैथी का अधिकार था ।
होमियोपैथी को मान्यता ना मिलने का मुख्य कारण
दोस्तो, जैसा की आप जानते है की ” होमियोपैथी दवा कैसे बनती है “ , विस्तार पूर्वक जानने के लिए हमारे पिछले आर्टिकल को जरूर पढ़े ।
दोस्तों, जब होमियोपैथी दवा का निर्माण किया जाता है तो उसमे दवा की मात्रा बिल्कुल नगण्य (Uncountable) हो जाती है । जिसके कारण उसमे सिर्फ अल्कोहल ही दिखता है । और सभी सरकारी संस्थाओं का कहना है की जब उसके अंदर दवा है ही नही तो ये काम कैसे करेगी ? जो मरीज सही होते भी है वो दवा से ना होकर खुद समय के साथ ठीक हो जाते है । जब तक हमें ( सरकारी संस्थान) ये सबूत नही मिल जाता की दवा के कारण ही कोई मरीज सही हुआ है या नही । हम कैसे मान ले की होमियोपैथी वास्तव में काम करती है ।
तो दोस्तों, आज में आपसे बात करूँगा होमियोपैथी के उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जिसको अभी तक सभी लोग अनदेखा करते आये है ।
होमियोपैथी ( नैनोपैथी ) :- एक नैनो टेक्नोलॉजी पर अधारित पैथी
दोस्तो, आज से लगभग 2 साल पहले लगभग 2018 में IIT मुम्बई के कुछ छात्रों ने एक ऐसे माइक्रोस्कोप का अविष्कार किया जिससे बहुत ही सूक्ष्म कण यानी Nano particles भी आसानी से देखे जा सकते है । जिसका प्रयोग उन्होंने नैनोपैथी दवाओं पर किया, जिसके परिणाम देखकर खुद IIT मुंबई के छात्र हैरान रह गए ।
उन्होंने देखा की होमियोपैथी दवाओं में बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में दवाओं के नैनो पार्टिकल्स उपस्थित है । ये सूक्ष्म कण दवाओं को जोर से हिलाने (succussion ) के कारण टूटने पर उत्पन्न होते है ।
जिस प्रकार आयुर्वेद में किसी भी हर्ब को खरड़ अथवा घोटने के कारण उसमे एक प्रकार की शक्ति पैदा हो जाती है , ठीक उसी प्रकार होमियोपैथी में भी दवा को अल्कोहल में मिलाकर जोर से झटके देने के कारण वो दवा Potencies यानी शक्तिकृत हो जाती है ।
होमियोपैथी दवा का कोई side effects क्यों नही होता ?
जैसा की हम ये जान चुके है की सभी होमियोपैथी दवाओं में दवा के बहुत सूक्ष्म कण होते है , जिनको हम नैनो पार्टिकल्स भी कहते है ।
ये नैनो पार्टिकल्स जब शरीर में जाते है तो बहुत सूक्ष्म होने के कारण ये सीधे रोग के जड़ो पर वॉर करते है । जिससे कारण रोग तो ठीक हो जाता है परन्तु इस दवा का कोई भी अन्य side effect नही होता ।
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