शक्ति (Potency)– Q,30,200, 1000
निर्माण– दोस्तो, इस औषध का निर्माण एक प्रकार के काष्ठविष डकरा- एक प्रकार के वृक्ष से होता है । एशिया, मध्य यूरोप व हिमालय के पहाड़ों पर ये वृक्ष बहुतायत से पाये जाते हैं । अमेरिका में इसकी खेती की जाती है। ये एक प्रकार का जहर होता है , एकोनाइट 5 प्रकार का होता है ।
1. एकोनाइट नेपेलस 30, 200
होमियोपैथी की यही प्रधान औषध है । इसका टिंचर डकरा पेड़ में फूल आने के समय फूल, कली और पत्ते यानी सम्पूर्ण से तैयार होता है ।
2. एकोनाइट कैमारम- यह प्रायः चिकित्सा में व्यवहृत नहीं होता ।
3. एकोनाइट फेरॉक्स– यह पेड़ की जड़ से तैयार की जाती है । इसका प्रयोग फेफड़े या हृदय की बीमारी में-जब रोगी को श्वास-कष्ट, जल्दी जल्दी श्वास लेना-छोड़ना पड़ता है, वह हाँफता है, वह सो नहीं पाता जिससे बैठा रहता है, दम रुक जाने का भाव होना आदि कई लक्षणों में इसका प्रयोग सफलता से किया जाता है।
4. एकोनाइट लाइकोटॉनम– यह दवा पेड़ में फूल खिलने के समय लता-पत्तों से तैयार होती है । इसका उपयोग गर्दन के पिछले भाग, बगल व स्तन वगैरह की गाँठों की सूजन में होता है ।
5. एकोनाइट रैडिक्स- यह पेड़ की जड़ से तैयार की जाती है । मस्तिष्क और मेरुरज्जा के स्नायु-मण्डल पर इसकी प्रमुख क्रिया होती है ।
एकोनाइट नेपेलस (Aconite Napellus) का मुख्य प्रयोग-
जब रोगी व्यक्ति का शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ रहा हो, नाड़ी लुप्त हो रही हो तथा मृत्यु का भय हो तो एकोनाइट नैप के मूल अर्क 1-1 बूँद हर 15-20 मिनट पर दें । हृदय की कमजोरी, परन्तु कलेजे गति समान, अत्यधिक बेचैनी, मृत्यु का डर, सम्पूर्ण शरीर ठंडा और की भाँति चेहरा हो जाने पर हिमांग दशा में इस दवा की 1-1 बूँद हर 15-20 मिनट के बाद देना लाभप्रद रहता है ।
अकॉनाइट का मुख्य लक्षण डर है , इसमें रोगी डरा -डरा सा महसूस करता है । साथ ही रोगी को बहुत प्यास लगती है ।
वात-ज्वर 105 डिग्री से अधिक होने पर एकोनाइट नैप 30 शक्ति को -25 मिनट के अंतर से देना चाहिये ।
FAQ
प्रश्न :- क्या सांस की दिक्कत में एकोनाइट नेपेलस(Aconite Napellus) 30, 200 का प्रयोग कर सकते है ?
उत्तर :- होम्योपैथिक की कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नही लेनी चाहिए । इसका मुख्य कारण ये है कि होम्योपैथिक दवाएं लक्षणों के आधार पर दी जाती है , जो डॉक्टर अपनी सूझबूझ से परखता है ।
प्रश्न :- एकोनाइट नेपेलस(Aconite Napellus) 30, या 200 या 1M लेने का सही तरीका क्या है ?
उत्तर :- 30 पोटेंशी की दवा, आधे कप ताजे पानी मे 5-5 बूंदे दिन में 3 बार लेनी चाहिए । यदि दवा 200 पोटेंशि की हो तो डॉक्टर अनुसार अथवा 5 बूंदे दिन में या हफ्ते में 1 बार लेनी चाहिए
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