April 22, 2024

कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus)

Carduus Marianus

लिवर( Liver) की मुख्य होम्योपैथिक औषधि कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus)

होमियोपैथी में लिवर की रामबाण औषधि के नाम से जाने जानी वाली ये औषधि मूल अर्क (Mother Tincture) के रूप में ज्यादातर प्रयोग की जाती है ।

यूरोप के एक प्रकार के पके फल के बीज से इसका टिंक्चर बनाया जाता है । ये दवा Milk thistlesilymarin के नाम से भी जानी जाती है ।

Carduus Marianus Homeopathic Remedy
Carduus Marianus Homeopathic Remedy

कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus) का प्रयोग :-

इस औषध का प्रयोग प्रायः यकृत (Liver ) एवं संयुक्तशिरामंडल सम्बन्धी बीमारियों में होता है । यह उन लोगों के लिये अधिक उपयोगी है जो खान में कम रुचि रखते हैं। दमा, रक्त की अधिकता जो यकृत के रोग के कारण होते हैं अथवा यकृत की व्याधि के कारण शोथ, कमजोरी, इन्फ्लुएंजा आदि बीमारियों में इसके प्रयोग से बहुत फायदा होता है । यकृत-दोष से उत्पन्न खाँसी तथा कलेजे के पास दर्द के साथ उठने वाली खाँसी में भी इससे बहुत लाभ होता है।

कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus) के लक्षण:-

सिर– भौहों के ऊपरी भाग में सिकुड़न, सिर में भारीपन, चक्कर आना और आगे गिर जाने का डर या गिर जाना।

आँख– आँखों में दबाव के एहसास के साथ ही जलन भी हो ।

जीभ– स्वाद कड़वा, जीभ का रोयेदार हो जाना ।

छाती– दाँयी ओर की निचली पसली एवं अप्रभाग में चिलक मारने जैसा दर्द, दमा का श्वासकष्ट । टहलने से या थोड़ी बहुत हरकत करने से रोग का बढ़ जाना ।

पेट– प्लीहा के पास पेट के बॉयी ओर चिलक होना । मिचली के साथ वमन, हरा क्षार की तरह का पानी निकले । पित्तपथरी (Gall stone) का रोग, साथ ही यकृत (लिवर) का बढ़ जाना । यकृत में पीड़ा । बाँयी ओर के पिण्ड का कोमल होना कब्ज, गाँठवाला पाखाना थोड़ा-थोड़ा या पतला, अदल-बदल कर दस्त व कब्ज । जलोदर के साथ ही यकृत-वृद्धि और यकृत में रक्त की अधिकता । पीलिया होना ।

मूत्र– सुनहरे या मटमैले रंग का पेशाब होना ।

मल– काँच का निकलना, गुदामार्ग में जलन होना, बवासीर से रुधिर का स्राव होना ।

अंग-प्रत्यंग– बैठने पर पैर में अधिक कमजोरी प्रतीत हो । उरुसन्थि में दर्द जो पुट्ठों से होकर जंघाओं के निचले हिस्से तक जाये । उठने में परेशानी होती है और झुकने से दर्द बढ़ जाता है ।

त्वचा- लेटने पर त्वचा में खुजली मचना । छाती के नीचे दाने हो जाना। खुजली व जलन रहना ।

मन- रोगी हर ओर से निराश रहे, लापरवाह हो । उसकी याददाश्त कमजोर हो । उसका व्यवहार मूर्खतापूर्ण हो और गन्दी बाते करता हो । नमक तथा मांस के प्रति अरुचि हो तो यह औषधि उपयोगी हैं ।

समान औषधियाँ(Similar Remedies) – चेलिडोनियम, ब्रायोनिया, मक्युरियस, ऐलोज, पोडोफाईलम।

FAQ

प्रश्न :- कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus) किस मात्रा में लेनी चाहिए और इसको लेने का तरीका क्या है ?

उत्तर :- ये दवा मदर टिन्चर जोकि इसकी पोटेंसी होती है के रूप में ज्यादा फायदा करती है । तथा ये दवा पानी मे 10 से 15 बूंदे डालकर खाली पेट लेने से ज्यादा फायदा करती है ।

प्रश्न :- कार्डुअस मेरिऐनस (Carduus Marianus) किन किन रोगों में कारगर है ?

उत्तर :- लिवर की खराबी, पित्त की पथरी, पीलिया रोग, कब्ज, ऐसिडिटी, पेट की बीमारियां , गुर्दे की बीमारियां, बवासीर, भगंदर, आदि सभी बीमारियों में ये दवा कारगर है ।

About Post Author

× Doctor Advice
%d