April 26, 2024

सल्फर औषधि (Homeopathy remedy Sulphur 200)

sulphur 200

सल्फर औषधि का परिचय- (Introduction of Sulphur 200 Homeopathy Medicine )

दोस्तों, सल्फर , जिसको आम भाषा मे गंधक भी कहते है ये त्वचा रोगों में बहुत ही लाभदायक मानी जाती है । होम्योपैथी के अनुसार त्वचा पर किसी भी प्रकार के दाने अथवा चर्म रोगों में होमियोपैथी दवा  सल्फर (Sulphur 200) को बहुत ही उपयोगी माना जाता है। कहते है सल्फर ही एक ऐसी दवा है जो चर्म रोगों (Skin Dieses) में  रामबाण साबित होती है ।

सल्फर (Sulphur 200) औषधि के महत्वपूर्ण लक्षण :-

शरीर के किसी भी हिस्से में दाने व त्वचा पर चकत्ते पड़ना, खारिश के साथ जलन का होना, पैरों के तलवों में खुजली, शरीर के सभी हिस्सों जैसे कान, नाक, होंठ, मूत्राशय, आदि में खुजलाहट का होना आदि विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर सल्फर औषधि देने से बहुत ही लाभ मिलता है ।

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सल्फर के लाभ (Advantage of Sulphur 200) :-

सल्फर ( Sulphur ) दवा का सबसे ज्यादा प्रयोग डॉक्टरों द्वारा तब किया जाता है जब अंग्रेजी दवा लेने के कारण कोई चर्म रोग दब गया हो , तथा बार बार त्वचा रोग उग्र रूप से सामने आता हो । ये दवा हमारे शरीर मे दबी हुई एलर्जी को बाहर कर उसको ठीक कर देती है ।  शरीर के अंगों में इसके भिन्न भिन्न लक्षण होते है । जो निम्नलिखित है ।

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1. सल्फर 200 के मन से संबंधित लक्षण (homeopathy Remedy Sulphur 200 Symptoms related             to mind):-

इसके अनुसार रोगी तुरंत सब कुछ भूल जाता है, कुछ भी सोचना और समझना बहुत मुश्किल होता है , मन में अजीब विचार आते हैं जैसे कि वह किसी भी चीज़ को एक सुंदर चीज के रूप में सोचना शुरू कर देता है, खुद को दुनिया का सबसे अमीर आदमी समझने लगता है  रोगी बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है, किसी से ठीक से बात नहीं करता है, काम में मन नहीं लगता है, रोगी इतना आलसी हो जाता है कि खुद को जगाना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार के मानसिक लक्षणों में सल्फर औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

2. सल्फर 30 के सिर से सम्बन्धित लक्षण(Sulphur 30 Symptoms related to head):-

होम्योपैथिक दवा सल्फर के सिर से संबंधित लक्षणों के अनुसार रोगी को माथे के ऊपरी भाग में बहुत गर्मी लगती है, सिर बहुत भारी लगता है, सिर में दर्द, जो झुकने के कारण अधिक होता है। चलने के कारण चक्कर आना, नहाते समय बालों का अधिक झड़ना,सर में खुजलाहट, जिसके कारण सर में जलन होती है।  इन लक्षणों में रोगी को सल्फर (Sulphur 30) देने से बहुत आराम मिलता है

 3. होम्योपैथिक दवा सल्फर का आंखों से संबंधित लक्षण

(Homeopathy Medicine Sulphur 200  Symptoms related to eyes):-

पलक के किनारे पर जलन, आंखों के आसपास छोटे-छोटे हल्के कण दिखाई पड़ना, आंखों में जलन, आंखों के सामने काले-काले धब्बे, आंखों के इस प्रकार के लक्षणों में ये दवा रामबाण काम करती है ।

4.सल्फर दवा का कान से सम्बन्धित लक्षण ( Sulphur 200 Ear symptoms):-

रोगी को अपने कानों में भनभनाहट की आवाज महसूस होती है, कानों में स्राव होने के कारण बेचैनी, किसी भी सुगंध से कान का दर्द बढ़ना,आदि श्लैष्मिक बहरापन के लक्षणों में सल्फर औषधि लाभदायक सिद्ध होती है।

5. नाक से संबंधित लक्षण (Nasal symptoms ):-

नाक में बदबूदार पदार्थ का जमाव, नाक के सामने वाले हिस्से में दर्द, नाक के अंदर ठंड के कारण सुबह और शाम को स्राव के रूप में टपकना, रोगी का बार-बार छींकना।  इन सभी लक्षणों में रोगी को सल्फर औषधि देने से बहुत लाभ होता है।

6. सल्फर दवा का गैस से सम्बंधित लक्षण (Sulphur 200 , Symptoms related to Gastric):-

रोगी को भोजन लेने पर भी भूख लगती है, यदि रोगी भोजन नहीं करता, तो उसका सिर दर्द करने लगता है और कभी-कभी रोगी को बिल्कुल भी भूख नहीं लगती है, थोड़ा भोजन लेने मात्र से ही रोगी की भूख समाप्त हो जाती है। भोजन के बाद, खट्टी डकारें आना, खाली पेट महसूस करना इस प्रकार के लक्षणों में सल्फर औषधि बहुत फायदेमंद साबित होती है ।

7. आंत्र से संबंधित लक्षण:-

रोगी को गुदा में बहुत तेज खुजली और जलन होती है, मल बार-बार निकलने पर भी नहीं आता है, मल का सख्त होना और गांठ के रूप में आना । खुजली के दौरान दर्द होगा, गुदा के चारों ओर लाल चकत्ते के साथ खुजली, सुबह उठने के तुरंत बाद मलत्याग करने के लिए भागना, रोगी को अपने पसीने में बदबू आती है , बवासीर के मस्से आदि लक्षणों रोगी में सल्फर औषधि का सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।

8. सल्फर 200 का मुंह से सम्बन्धित लक्षण (Symptoms related to mouth):-

रोगी के होंठो में सुखापन,  होंठों में जलन, मुँह का कड़वा स्वाद, मसूड़ों की सूजन, सफेद जीभ जैसे लक्षण में, लेकिन जीभ के किनारे और सिरे लाल होते हैं।  सल्फर औषधि लेने से लाभ होता है।

9. सल्फर का गले से सम्बन्धित लक्षण (Sulphur 200 Throat symptoms ):-

रोगी को अपने गले में किसी चीज की तेज चुभन महसूस होती है या गले में बाल चिपके रहते हैं, गले में जलन होती है, गले में मोच का अहसास होता है। इन सभी लक्षणों के आधार पर रोगी में सल्फर औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।

10. मूत्र से संबंधित लक्षण (पेशाब)( Symptoms related to urine):-

रोगी को बार-बार पेशाब करना पड़ता है, खासकर जब रोगी सोता है, उसके बाद रोगी को थोड़े समय में पेशाब के लिए जाना पड़ता है, बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं, पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब करते समय मूत्र नली में जलन होना, रोगी को अचानक पेशाब आना जिसमे रुकना बहुत मुश्किल हो जाता है, पेशाब के इन सभी लक्षणो में  रोगी को सल्फर औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

11. पुरुष रोग से संबंधित लक्षण(Symptoms related to male disease):-

रोगी के लिंग में सूजन के कारण दर्द, अपने आप वीर्य का स्खलन, सोते समय जननांगों में बहुत तेज खुजली, जननांगों की कमजोरी, अंडकोषों का लटकना, रोगी का लिंग में खारिश ऐसे लक्षणों में सल्फर का उपयोग  बहुत लाभदायक सिद्ध होता है ।

12. स्त्री संबंधित रोगों में सल्फर का प्रयोग (Symptoms related to gynecology):-

योनि में बहुत तेज खुजली के कारण महिला बेचैन हो जाती है, योनि में जलन के साथ फुंसी, गर्भस्राव के दौरान अतिरिक्त रक्त, महिलाओं में ल्यूकोरिया (योनि से पानी का अधिक स्त्राव)  , मासिक धर्म के समय में गाढ़ा, गहरे रंग का, कम मात्रा में और दर्द के साथ, मासिक धर्म। महिला के सिर ओर स्तनों में दर्द आदि के लक्षणों में सल्फर औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

13. सांस से सम्बंधित लक्षण (Respiratory symptoms ):-

रोगी को अपनी छाती में दबाव और जलन महसूस होती है, साँस लेने में कठिनाई होती है, रोगी को बंद कमरे में घुटन होती है, रोगी की आवाज़ बंद हो जाती है, खाँसी के साथ रोगी के पूरे सीने पर लाल धब्बे हो जाते हैं, , खाँसी के साथ बलगम, बहुत भारी छाती महसूस करना, आधी रात को सांस लेने में तकलीफ, जो सुबह उठने की तुलना में थोड़ा कम है, नाड़ी का बहुत तेज चलना,दर्द का  छाती से पीठ तक तेजी से दौड़ना और जो पीठ के बल लेटकर या गहरी सांस लेते हुए तेज होता है  , छाती में गर्मी, जो सिर तक पहुँचती है, फेफड़ों में बहुत तेज जलन होती है, आदि लक्षणों में रोगी को सल्फर औषधि लेने से लाभ मिलता है।

14. पीठ से सम्बन्धित लक्षण (Symptoms related to back):-

रोगी को कंधों में खिंचाव, गर्दन के पिछले भाग में अकड़न व दर्द महसूस होता है, रोगी के कशेरुकाओं को ऐसा महसूस होता है जैसे कि एक-दूसरे के ऊपर जा रहे हों,

15. शरीर के बाहरी भाग से संबंधित लक्षण( Symptoms related to external body):-

हाथ कांपना, हाथों में गर्म पसीना आना, गठिया, रात में पैरों के तलवों में जलन । हाथ व बगल से लहसुन की गंध जैसा महसूस होना, हाथों में खिंचाव के साथ दर्द, घुटनों और टखनों की कठोरता के कारण रोगी हिल नहीं सकता, कंधों

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