स्तन की गाँठ (Cyst) में डॉ माथुर के अनुभूत प्रयोग 1st
डॉ० आर० पी० माथुर, बापू नगर, जयपुर के होम्योसेवक, जनवरी 1989 में लिखते हैं कि निवाई के पोस्ट मास्टर श्री के० जी० शर्मा अपनी पत्नी के बायें स्तन के ट्यूमर का इलाज कराने उनके पास आये । रोगिणी की उम्र 45 वर्ष थी। रोगिणी की उप्त गाँठ में दर्द तथा गाँठ के एक जगह स्थिर रहने के कारण उन्हें लगा कि स्तन का कैंसर है। पूछने पर पता चला कि चोट आदि नहीं लगी। रोगिणी का वज़न दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा था, कमजोरी बढ़ती जा रही थी।
उनके इन लक्षणो के आधार पर उसका इलाज निम्न प्रकार किया गयासबसे पहले थूजा (1000) की एक खुराक दी , जिसके फलस्वरूप गांठ काफ़ी घट गई थी।उसके कुछ हफ़्तों बाद कोनियम (1000) की एक खुराक दी । जिसके फलस्वरूप गाँठ और भी घटी तथा पर्याप्त कम हो गई।जब कोनियम 1000 को दिए बहुत समय बीत गया तो कोनियम (10 M) की एक खुराक दी गई
जिसके देने के कुछ हफ़्तों में ही गांठ अदृश्य हो गई
स्तन में गांठ तथा कोनियम का प्रयोग 2nd
डॉ० आर० पी० माथुर, बताते है कि एक बार एक महिला मरीज उनके पास आई , उस मरीज के दाहिने स्तन में गाँठ होने की शिकायत थी । गाँठ एकदम सख्त थी , उसमे दर्द भी था परंतु चोट का कोई इतिहास नही था ।
इन सब लक्षणों को देखते हुए उस महिला मरीज को कोनियम(Conium 1M ) की एक खुराक दी , सिर्फ 15 दिन में ही उस महिला को बहुत लाभ दिखा, उसके बाद इसी दवा को 10M पोटेंसी में दिया गया, जब ये कन्फर्म हो गया के गाँठ निकल चली गई तब कार्सिनोसिन 1M दी , डॉ माथुर का कहना था कि सर्जिकल रोगों में होमियोपैथी चिकित्सा के बाद अंत मे रोगी का रोग पुनः न दुहरे इस लिए ये दवा देना आवश्यक है । यदि रोगी TB की बीमारी से ग्रसित है तो उसे अंत मे ट्यूबरक्यूलिनम 1M देनी चाहिए ।
वोकल कार्ड की गांठ तथा स्तन के कैंसर व स्वर भंग में कैलकेरिया कार्ब या कारसिनोसिन दवा का प्रयोग 3rd
डॉ० माथुर के पास गले का टयूमर के एक
रोगी को इलाज के लिए लाया गया । उसके रोग में उन्हें कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई दिया । गले के ऐसे रोगियों पर अपने पूर्व-अनुभव के आधार पर उन्होंने उसे कैलकेरिया कार्ब ( 1M) दे दिया। एक पखवाड़े तक दवा का कोई प्रभाव नहीं दीखा। इसके बाद फिर उसे यही दवा (1M) दे दी । दूसरी खुराक देने के बाद उसकी आवाज में कुछ प्रभाव दिखा।
परन्तु बहुत समय बीतने के बाद भी कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा, तब उसे थूजा (1M ) दे दिया । इसके देने के बाद गले का अर्बुद(Tumour) गायब हो गया। रोगी ने कहा कि जैसे-जैसे बह बोलने का प्रयत्न करता है वैसे-वैसे उसकी आवाज खुलती जाती है । इस लक्षण पर उसे रस टॉक्स (1 एम) की एक खुराक दी गई ।
उसके बाद किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ी, वह ठीक हो गया। डॉ० माथुर का अनुभव यह है कि गले की आवाज़ साफ़ न होने पर और गले की होर्सनेस में कैलकेरिया कार्ब लाभ करता है । वे कहते हैं कि गले के या कहीं के टिश्युओं को, भले ही कोई खास लक्षण न दिखें, अगर मुलायम टिश्यु हों तो कैलकेरिया कार्य, और अगर कठोर टिश्यु हों तो कैलकेरिया फलोर उन्हें घोल देगा। ये इन अवस्थाओं के लिए बंधे-बंधाये ओषध हैं,
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